एक लड़की के नदी होते हुए [पार्ट - 2]

उसके रोने और सोने के बीच
होती है एक नदी
उसके अपने आंसुओं की
जो उसे पार करनी होती है
नदी के पार होता है
उसके सपनों का
प्रति-संसार, जहां
कभी किसी उत्सव से
पागल होकर
दौड़ता है हाथी
और ऊंचाई से गिर कर
बच्चे के खिलौने की तरह
टूट जाता है
कभी किसी खेत में खड़ा
बिजूका
कर रहा होता है
उसके सपनों की रखवाली
कोई पहाड़ों से
लाता है चिलम
और मैदानों में उठता है धुंआ
कभी होती है फिल्म
सिनेमा घर का अंधेरा
पर्दे पर, सिर के ऊपर
रोशनी की शहतीर से
गुजरती आंसुओं की नदी में
डूब जाती है हिरोइन
नदी जो सूख जाती है
फिल्म खत्म होते ही
पर नहीं सूखती
उसके आंसुओं की नदी
जो उसे खुद ही
पार करनी होती है
बिना नाव, बिना माझी के
कभी इस पार
कभी उस पार.

1 comment:

  1. aakee kavita mein mujhe chhaayaavaad ka put najar aataa hai yadi main galat nahin hoon to , likhte rahein.

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